भारत सरकार को लिखे एक पत्र में, ई•एफ•एफ और  दुनिया भर के भागीदार डिजिटल अधिकार संगठनों ने भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इंटरमीडियटरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड (2021 आईटी रूल्स) के तहत तथाकथित ट्रेसबिलिटी की मांग को वापस लेने का निवेदन किया हैं।यह नियम एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड निजी मैसेजिंग सेवाओं  को अपने प्लेटफॉर्म पर सूचना के "पहले ओरिजिनेटर (सूचना को बनाने वाले को)" की जानकारी को जमा करने के लिए बाध्य करते हैं।

ई•एफ•एफ ने पहले ही आई•टी नियमों के इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की बोलने की आजादी और प्राइवेसी (जिसमे ट्रेसबिलिटी की आवश्यकता भी शामिल है जो भारत में मजबूत एन्क्रिप्शन को खतरे में डाल सकती है) पर कठोर प्रभावो पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है। 

निजी और सुरक्षित बातचीत के लिए एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन जरूरी है। और जबकि भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने एक नेसेसिटी एंड प्रोपोर्शनलिटी टेस्ट की शुरुआत करके राइट टू प्राइवेसी (गोपनीयता के अधिकार) को एक मौलिक अधिकार माना, ट्रेसबिलिट की जरूरत, वास्तव में, एक बुरा उपाय है: यह एन्क्रिप्शन को तोड़ता है; भारतीय लोगों और व्यवसायों की बोलने की आजादी, प्राइवेसी और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालता है।

इसलिए, इंडियन 2021 आईटी रूल्स  के तहत ट्रेसबिलिटी की जरूरत को वापस लेना अनिवार्य है।

पत्र का पूरा लेख और हस्ताक्षरकर्ताओं की सूची नीचे है